पूर्णिया का ऐतिहासिक जलालगढ़ किला इस्लामिक स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है | पूर्णिया जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर, एन एच 57 के किनारे यह ऐतिहासिक जलालगढ़ का किला स्थित है।
जलालगढ़ किले का इतिहास (History of Jalalgarh fort)
जलालगढ़ किले के इतिहास के कोई पुख्ता सबुत नहीं है, इतिहासकारों की माने तो वर्ष 1722 में खगड़ा के राजा सैय्यद मोहम्मद जलालुद्दीन के द्वारा इस किला का निर्माण करवाया गया था | उन्होंने नेपाल द्वारा होने वाले आक्रमण से राज्य को बचाने के लिए किले का निर्माण करवाया था।
लेकिन कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि पूर्णिया के नवाब सैफ खान के द्वारा सन् 1722 में इस किले का निर्माण करवाया गया था | ऐसा कहा जाता है कि यह जगह पहले कोसी नदी में द्वीप के रूप में थी। और कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि सन् 1722 से पहले भी किला वहां पर मौजूद था।
ऐसा भी कहा जाता है कि वहां के लोगों को और प्रवासियों को लुट से बचाने के लिए इस किले का निर्माण करवाया गया था। उसके कुछ साल बाद ही जलालगढ़ किला सय्यद मुहम्मद जलील के नियंत्रण में आ गया था। वो नवाब सय्यद अहमद को राजस्व देने के लिए तैयार नहीं थे, इसीलिए उन्होंने किले पे हमला करके किले को कब्जे में लिया था।
जलालगढ़ किले की वास्तुकला (Jalalgarh fort Architecture)
किले के चतुश्कोनी एमआकार की वजह से यह किला एक समय में लोगों के मुख्य आकर्षण का केंद्र था। इसकी ऊंची ऊंची दीवारें नेपाल से होने वाले हमलों से अक्सर बचाया करती थी। विशेषज्ञों का कहना है की इस किले को हिन्दू और इस्लाम दोनों ही वास्तुकला में बनाया गया है।
६ एकड़ जमीन में फैले इस किले की पूरब से पश्चिम से लंबाई 550 फीट व उत्तर से दक्षिण लंबाई 400 फीट है। इसके दीवाल की मोटाई ७ फीट और उंचाई 22 फीट है। इसमें पूरब की ओर मुख्य प्रवेश द्वार है, जिसकी चौड़ाई 13 फीट है। दक्षिण में निकास द्वार है, जिसकी चौड़ाई लगभग ७ फीट है। जबकि बुर्ज ६ मीटर उंचा है जहां तोप का गोला फेंकने के लिये छेद बना हुआ है, यह प्राचीन ईटों को सुर्खी चूना से जोड़कर बनाया गया है | फिलहाल पूरा किला खंडहर बन चुका है। इसकी भूमि में लोग फसल उगा रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो किले के नाम लगभग १०० एकर भूमि है, जो कहीं न कहीं अवैध कब्जे में है।
सन् 1999 में इस किले को धरोहर के रूप में घोषित कर दिया था | अभी यह बिहार और अन्य राज्य के लोगों के लिए पर्यटन का स्थल बन गया है। किले को देखने के लिए लोग आते ही रहते हैं | अद्भुत आकार के होने के कारण यह किला पर्यटकों के लिए बहुत ही यादगार बन जाती है | अर्थात् यह किला हर किसी को एक बार जरुर देखना चाहिए।
मुख्यमंत्री के घोषणा के बाद भी नहीं हुआ जलालगढ़ किले का कायाकल्प
मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी ऐतिहासिक जलालगढ़ किले का नूर नहीं लौटा है। यह आज भी पूर्व की तरह बेबश है। स्थानीय लोगों द्वारा कई बार आन्दोलन और अनशन किया गया था | घोषणा के बावजूद आज भी हालात जस के तस है यह जीर्ण-शीर्ण हो गया है | वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि वे लोग जब छोटे थे तो यह किला काफी सुन्दर था लेकिन जबसे किले के जमीन पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया है तबसे इसकी हालात काफी खराब हो गयी है |
जलालगढ किला के जीर्णोद्धार को ले कई वर्षो संघर्षरत नाथो यादव ने लगातार प्रशासनिक उपेक्षा के बावजूद हार नही मानी वे किले के अस्तित्व को बचाने एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास करते आ रहे है। कई बार वे आमरण अनशन पर भी बैठे थे। परिणाम स्वरूप जब सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद 8 फरवरी 2012 को किले का निरीक्षण करने आ पहुंचे थे पूर्णिया पहुंचे थे तो जलालगढ़ के किले का इतिहास ने उन्हें अपनी ओर खींचा। वे किला देखने जलालगढ़ पहुंचे। करीब आधा घंटा वे वहां रूके व किले के विभिन्न भागों का मुआयना भी किया। उन्होंने स्थानीय लोगों व जानकारों से किले की जानकारी ली। इतिहास से प्रभावित मुख्यमंत्री ने इसकी व्यवस्था के संबंध में कई निर्देश दिए। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की बात भी उन्होंने कही थी।
23 जुलाई 2017 को तत्कालीन पर्यटन मंत्री अनिता देवी ने कहा कि पूर्णिया जिले के अति प्राचीन व ऐतिहासिक धरोहर जलालगढ़ किला का न सिर्फ जीर्णोद्धार किया जायेगा, बल्कि उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा | इसके लिये विस्तृत प्लान तैयार किया जा रहा है | इंडो-नेपाल बोर्डर से सटे इस किला का इतिहास काफी रोचक है | इसे विकसित कर नयी पीढ़ी के समक्ष इतिहास को जीवंत बनाया जायेगा | इस किले के आस पास की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत आयी है | अतिक्रमणकारियों को हर हाल में हटाया जायेगा | मुख्य सड़क से किला तक पक्की व उच्च क्वालिटी का रोड बनवाया जायेगा | मंत्री श्रीमती अनिता देवी जी ने कहा कि इसके मरम्मत और संरक्षण के जल्द पहल शुरू कर दी जायेगी.
भवन निर्माण लि. पटना द्वारा किले के जीर्णोद्धार व साज-सज्जा के लिए करीब 250 करोड़ की निविदा निकाली गई मगर प्रशासनिक उदासीनता के चलते अधर में है |
वहीं वर्तमान बिहार के कला संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने कहा कि जलालगढ़ किला और बनमनखी के प्रहलाद स्तम्भ को पर्यटक स्थल बनाने के लिये उसने टीम भी भेजी थी, जलालगढ़ किला में जमीन के विवाद के चलते काम रुका है, हालांकि उसने डीएम से रिपोर्ट मांगा है और जल्द ही इसपर काम शुरु होने की उम्मीद जताई है.
पुराने जिलों में शुमार पूर्णिया का ऐतिहासिक महत्व भी है। पौराणिक कथाओं एवं कई ऐतिहासिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। यहां कई प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें विकसित कर पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है किंतु इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है। लेकिन क्षेत्र के विधायक कृष्ण कुमार ऋषिदेव के राज्य सरकार में कला संस्कृति मंत्रालय का भार संभालने से यहां के कई ऐतिहासिक स्थलों के विकसित होने की उम्मीद लोगों में जग गई है।