ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित कराने में जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन बखूबी कर रहे हैं। साथ ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले के कुछ एचडब्ल्यूसी में प्रसव कराए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। अभी और जगह प्रसव कक्ष तैयार कराने की प्रक्रिया भी चल रही है। ताकि निकट भविष्य में प्रसव शुरू किया जा सके। जिसको शत प्रतिशत पूरा करने को लेकर प्रत्येक महीने 14 तारीख को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर स्वास्थ्य मेला आयोजित करने का विभागीय स्तर से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार के द्वारा जारी पत्र के आलोक में जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर महीने के प्रत्येक 14 तारीख को स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया जाता है। सीएचओ द्वारा आयोजित स्वास्थ्य मेला में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, किशोरियों में खून की कमी, गर्भवती महिलाओं में विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच एवं उचित परामर्श, वेक्टर जनित रोग से संबंधित जानकारी एवं उचित सलाह, एनसीडी से संबंधित बीमारियों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ जरूरतमंदों को टेलीमेडिसिन की सेवा उपलब्ध कराते हुए लाभार्थियों का हेल्थ आईडी कार्ड आभा तैयार किया गया। जिले के सभी एचडब्ल्यूसी में नियमित रूप से ओपीडी संचालित किया जाता है। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों को चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरतमंदों तक आवश्यक चिकित्सीय सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने का हर संभव प्रयास किया जाता है।
जिले में कार्यरत 339 एचडब्ल्यूसी पर टीबी जांच, फाइलेरिया, कालाजार, मलेरिया सहित एनबीएस को लेकर किया गया जागरूक।जिला योजना समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि जिले में 472 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हैं। जिसमें 339 सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। बुधवार को आयोजित स्वास्थ्य मेला में टीबी जांच, फाइलेरिया, कालाजार, मलेरिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह स्क्रीनिंग के साथ-साथ लाभुकों को मौसम के अनुसार होने वाले संक्रमण को लेकर जागरूक किया गया। दरअसल किशोर एवं किशोरियों को किशोरावस्था में होने वाली संक्रमित बीमारियों को लेकर जागरूक करने के साथ ही उनकी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों के संबंध में ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है।