14 अगस्त 1947 को सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे, लोगों की भीड़ मिश्रा रेडियो की दुकान पर लगी रही। मगर जब आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आयी। तो लोग घर लौट आए। मगर मित्रा रेडियो की दुकान खुली रही। रात के 11:00 बजे थे कि झंडा चौक स्थित मित्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे। फिर आजादी की बात शुरू हो गयी।
इस बीच मित्रा रेडियो की दुकान पर सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया। रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पड़े। साथ ही निर्णय लिया कि इसी जगह आजादी का झंडा फहराया जाएगा। आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया। 14 अगस्त, 1947 की रात 12 बजे रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया। उसी रात चौराहे का नाम झंडा चौक रखा गया। झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ लिया कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा। और ऐसा हुआ भी।
14 अगस्त की रात झंडोत्तोलन के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होने लगा। धीरे-धीरे यह परंपरा बनती चली गयी। झंडोत्तोलन की कमान लोगों ने रामेश्वर प्रसाद सिंह के परिवार के कंधे पर दे दी। साथ ही अन्य लोगों का परिवार परंपरा के मुताबिक आज भी झंडोत्तोलन में सहयोग करने लगे हैं। झंडोत्तोलन की परंपरा के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार सिंह ने झंडात्तोलन की कमान संभाली और उनके साथ रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास, स्नेही परिवार, शमशुल हक के परिवार के सदस्यों ने मदद करनी शुरू की।
अब 15 अगस्त को रात 12.01 मिनट पर रामाश्रय प्रसाद सिंह के पोते बिपुल प्रसाद सिंह तिरंगा फहराते हैं. राष्ट्रगान होता है, भारत माता की जय के नारे लगते हैं और लोगों को जलेबी खिलाई जाती है
बदला गया लोहे का फ्लैग पोस्ट :
पिछले सत्तर सालों से लोहे के फ्लैग पोस्ट पर ही तिरंगा झंडा फहराया जाता था। मगर लोहे का पोस्ट खराब हो चुका था। तीन दिन पहले ही इसे बदला गया है। राजीव मराठा ने बताया कि इस बार झंडोत्तोलन के लिए नया फ्लैग पोस्ट लगवाया गया है।
शहर के बुद्धिजीवी का होता है जमावड़ा : जानकारी हो कि पूर्णिया शहर के कई गणमान्य लोग 14 अगस्त रात 12:00 बजे झंडा चौक पर झंडोत्तोलन के वक्त मौजूद रहते हैं। अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि यह परंपरा 71 सालों से चल रहा है। इस बार भी धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश का पहला झंडा पूर्णिया में फहराया जाता है। इसके बाद 15 अगस्त की सुबह दिल्ली सहित पूरे भारत में झंडा फहराया जाता है।
वाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया देश की दूसरी ऐसी जगह है, जहां मध्य रात्रि में तिरंगा फहराया जाता है. आजादी के साल 1947 से लगातार हर साल पूर्णिया के भट्ठा बाजार स्थित झंडा चौक पर रात 14-ं15 अगस्त को 12 बजकर 01 मिनट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है
विधानसभा में उठा झंडा चौक का मुद्दा
पूर्णिया झंडा चौक स्थित झंडोत्तोलन स्थान को राजकीय दर्जा दिए जाने से संबंधित मांग को विधानसभा में उठाकर सदर विधायक विजय खेमका ने पूर्णियावासियों की प्रतिक्षित मांग को पूरा किया है और जनप्रतिनिधि होने के दायित्व को बखूबी निभाया है। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सिंह एक अरसे से इस झंडोत्तोलन स्थान को राजकीय दर्जा दिलाने को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। उम्मीद है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मांग पर जरूर गौर करेगी।